ताज महल: प्रेम, वास्तुकला और इतिहास का अद्भुत संगम
ताज महल, भारतीय वास्तुकला का यह अनुपम नमूना, दुनिया के सात अजूबों में से एक माना जाता है। उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के तट पर स्थित, यह भव्य स्मारक प्रेम और समर्पण का प्रतीक है जिसे मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। 1632 में शुरू हुआ इसका निर्माण 1653 में पूर्ण हुआ, जिसमें लगभग 22,000 कारीगरों ने अपना अमूल्य योगदान दिया। सफेद संगमरमर से निर्मित यह अद्भुत स्मारक अपनी अनूठी वास्तुकला, सूक्ष्म कारीगरी और कलात्मक सौंदर्य के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस व्यापक शोध रिपोर्ट में हम ताज महल के इतिहास, वास्तुकला, कलात्मक विशेषताओं और इससे जुड़े अनेक रोचक तथ्यों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे, जो इस अद्वितीय स्मारक की महत्ता और आकर्षण को समझने में सहायक होगा।
ताज महल का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
ताज महल का इतिहास मुगल साम्राज्य के स्वर्णिम काल से जुड़ा है। यह मुगल सम्राट शाहजहाँ और उनकी प्रिय पत्नी मुमताज महल (जिनका मूल नाम अर्जुमंद बानो बेगम था) के अमर प्रेम की गाथा का साक्षी है। शाहजहाँ और मुमताज का विवाह 1612 में हुआ था और उनके बीच अगाध प्रेम था। दुर्भाग्य से, 1631 में अपने चौदहवें बच्चे को जन्म देते समय मुमताज महल का निधन हो गया, जिससे शाहजहाँ गहरे शोक में डूब गए। अपनी प्रिय पत्नी की स्मृति को अमर बनाने के लिए शाहजहाँ ने एक ऐसे मकबरे के निर्माण का निर्णय लिया जो उनके प्रेम की गहराई और अमरता को प्रदर्शित करे[1]।
ताज महल का निर्माण कार्य 1632 में आरंभ हुआ और इसे पूर्ण होने में लगभग 21 वर्ष लगे। इस अद्भुत स्मारक के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे, जिन्होंने शाहजहाँ के मार्गदर्शन में इस महान परियोजना का नेतृत्व किया[1]। निर्माण कार्य में न केवल भारत से बल्कि मध्य एशिया, फारस और अरब देशों से भी कुशल कारीगरों, शिल्पकारों और वास्तुविदों को आमंत्रित किया गया था। इस विशाल परियोजना पर लगभग 22,000 कारीगरों और मजदूरों ने काम किया, जिनमें पत्थर काटने वाले, संगमरमर पर नक्काशी करने वाले, कैलीग्राफर और अन्य कुशल कलाकार शामिल थे[1]।
ताज महल के निर्माण में अनुमानित लागत उस समय के लगभग 32 करोड़ रुपये थी, जो आज के मूल्य के अनुसार अरबों रुपये के बराबर होगी[1]। एक अनुमान के अनुसार, अगर आज ताज महल का निर्माण किया जाए तो इसकी लागत लगभग 70,000 करोड़ रुपये होगी। इस विशाल धनराशि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस समय मुगल साम्राज्य दुनिया की सबसे धनी सत्ताओं में से एक था, जिसकी आर्थिक समृद्धि ने ऐसे भव्य निर्माण को संभव बनाया।
ताज महल के निर्माण में उपयोग की गई सामग्रियाँ दूर-दूर से लाई गईं। इसका मुख्य निर्माण सामग्री सफेद संगमरमर राजस्थान के मकराना से लाया गया था, जबकि अन्य मूल्यवान पत्थर और रत्न दुनिया के विभिन्न भागों से मंगवाए गए थे[3]। उदाहरण के लिए, पीला और क्रिस्टल पत्थर चीन से, नीला पत्थर तिब्बत और श्रीलंका से, फीरोजा ईरान से और लाल बलुआ पत्थर उत्तर भारत से लाया गया था। इन विभिन्न सामग्रियों का प्रयोग ताज महल को अद्वितीय और आकर्षक बनाता है।
ताज महल की वास्तुकला और डिजाइन
ताज महल की वास्तुकला मुगल, फारसी और भारतीय शैलियों का अद्भुत संगम है, जो इसे विश्व की वास्तुकला का एक अनुपम उदाहरण बनाता है। इसका मुख्य भवन एक विशाल वर्गाकार चबूतरे पर स्थित है, जिसकी प्रत्येक भुजा लगभग 100 मीटर लंबी है। इस चबूतरे के चारों कोनों पर चार मीनारें हैं, जो प्रत्येक 40 मीटर ऊंची हैं[1]। ये मीनारें न केवल सौंदर्य के लिए हैं, बल्कि वास्तुकला की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। विशेष बात यह है कि ये मीनारें थोड़ी बाहर की ओर झुकी हुई हैं, ताकि किसी प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप की स्थिति में, ये मुख्य भवन से दूर गिरें और मकबरे को क्षति न पहुँचाएं[2]।
ताज महल का मुख्य गुंबद इस स्मारक का सबसे आकर्षक और प्रभावशाली हिस्सा है। यह गुंबद 73 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसकी आकृति प्याज के समान है, जो मुगल वास्तुकला की एक विशेषता है[1]। गुंबद के शीर्ष पर एक कलश है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह मूल रूप से लगभग 40,000 तोले (करीब 400 किलोग्राम) सोने से बनाया गया था[4]। हालांकि, वर्तमान में जो कलश देखने को मिलता है वह पीतल का बना हुआ है, क्योंकि समय के साथ मूल सोने के कलश को बदल दिया गया।
ताज महल के चारों ओर एक विशाल चारबाग (चार हिस्सों में विभाजित बगीचा) है, जो फारसी वास्तुकला की परंपरा का अनुसरण करता है। इस बगीचे को जल माध्यम से चार समान भागों में विभाजित किया गया है, जो जन्नत (स्वर्ग) का प्रतिनिधित्व करता है। बगीचे के बीच में एक लंबा जल मार्ग है जिसमें ताज महल का प्रतिबिंब देखा जा सकता है, जो इसकी सुंदरता को और अधिक निखारता है[2]। बगीचे में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे लगाए गए हैं, जिनमें फलदार वृक्ष, सुगंधित फूल और छायादार पेड़ शामिल हैं।
ताज महल का प्रवेश द्वार, जिसे दरवाजा-ए-रौजा कहा जाता है, भी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह लाल बलुआ पत्थर से बना है और इस पर अरबी और फारसी में सुंदर शिलालेख उकेरे गए हैं[3]। इस प्रवेश द्वार की विशेषता यह है कि जब आप इससे होकर गुजरते हैं, तो आपको ताज महल की पहली झलक मिलती है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। यह दृश्य इतना प्रभावशाली और सुनियोजित है कि यह वास्तुकला के क्षेत्र में एक अद्वितीय उपलब्धि मानी जाती है।
ताज महल के अंदरूनी हिस्से की विशेषताएँ
ताज महल का अंदरूनी भाग उतना ही अद्भुत और कलात्मक है जितना कि बाहरी। मुख्य कक्ष, जहाँ मुमताज महल और शाहजहाँ की नकली कब्रें स्थित हैं, एक अष्टभुजाकार कमरा है जिसे चारों ओर से संगमरमर की जालीदार दीवारों से घेरा गया है[1]। यह जाली इतनी बारीक कारीगरी से बनाई गई है कि यह एक पारदर्शी पर्दे जैसी प्रतीत होती है। इसमें पत्थरदुज़ी का काम किया गया है, जिसमें अर्धकीमती पत्थरों जैसे लैपिस लाजुली, जेड, क्रिस्टल, टर्कोइस और कार्नेलियन का उपयोग फूलों और पत्तियों के डिजाइन बनाने के लिए किया गया है।
मकबरे के अंदर की दीवारों पर अरबी और फारसी लिपि में कुरान की आयतें उकेरी गई हैं[1]। कैलीग्राफी का यह काम काले संगमरमर से किया गया है, जो सफेद संगमरमर की पृष्ठभूमि पर अत्यंत आकर्षक लगता है। अक्षरों का आकार नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता जाता है, जिससे यह पाठक की दृष्टि से समान आकार के दिखाई देते हैं। यह ऑप्टिकल इल्यूज़न का एक अद्भुत उदाहरण है, जो उस समय के कलाकारों के गणितीय और वास्तुकला संबंधी ज्ञान को दर्शाता है।
ताज महल के अंदर की सजावट में पिएत्रा ड्यूरा (पत्थर के टुकड़ों से बनी चित्रकारी) तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसमें विभिन्न रंगों के पत्थरों को काटकर और जोड़कर पैटर्न और डिज़ाइन बनाए जाते हैं[3]। इस तकनीक का उपयोग फूलों, पौधों, और ज्यामितीय पैटर्न बनाने के लिए किया गया है, जो ताज महल के अंदरूनी भाग की सुंदरता को बढ़ाते हैं। इस कार्य में इतालवी शिल्पकारों की भी सहायता ली गई थी, जो पिएत्रा ड्यूरा तकनीक में विशेषज्ञ थे।
ताज महल के अंदरूनी भाग की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि मुख्य कक्ष में जो कब्रें दिखाई देती हैं, वे वास्तविक कब्रें नहीं हैं। मुमताज महल और शाहजहाँ की असली कब्रें मकबरे के निचले तल पर एक भूमिगत कक्ष में स्थित हैं[1]। ऊपरी तल पर केवल प्रतीकात्मक कब्रें हैं, जो इस्लामिक परंपरा के अनुसार बनाई गई हैं, जिसमें वास्तविक दफन स्थल को सार्वजनिक प्रदर्शन से बचाया जाता है। भूमिगत कक्ष सादा है और इसमें अधिक सजावट नहीं है, जबकि ऊपरी कक्ष में कब्रें अधिक सजावटी और कलात्मक हैं।
ताज महल से जुड़े रोचक तथ्य
ताज महल से जुड़े अनेक रोचक तथ्य और किंवदंतियाँ हैं जो इसे और अधिक रहस्यमय और आकर्षक बनाते हैं। सबसे पहले, ताज महल की वास्तुकला की एक विशेष विशेषता यह है कि यह किसी भी कोण से देखने पर समान रूप से सुंदर और संतुलित दिखता है[2]। इसका डिजाइन इस प्रकार से बनाया गया है कि इसकी सभी तरफें समरूप हों, जो वास्तुकला के उच्च स्तर की कुशलता का प्रदर्शन करता है।
एक अत्यंत आकर्षक तथ्य यह है कि ताज महल अलग-अलग समय पर अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है[1]। सूर्योदय के समय यह गुलाबी आभा लिए होता है, दोपहर में चमकदार सफेद, और चाँदनी रात में नीलिमा लिए हुए चांदी जैसा प्रतीत होता है। यह रंग परिवर्तन संगमरमर की प्रकृति और प्रकाश के कोण के कारण होता है, जो इस स्मारक को अद्वितीय और जादुई बनाता है।
ताज महल के निर्माण से जुड़ी एक प्रचलित किंवदंती यह है कि इसे बनाने वाले कारीगरों के हाथ काट दिए गए थे या उनके अंगूठे काट दिए गए थे, ताकि वे फिर कभी इतना सुंदर स्मारक न बना सकें[3]। हालांकि, इस कहानी के लिए कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता और अधिकांश इतिहासकार इसे एक मिथक मानते हैं। वास्तव में, ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि शाहजहाँ ने कारीगरों को अच्छी तरह से पुरस्कृत किया था और उन्होंने बाद में भी कई अन्य भवनों का निर्माण किया।
एक अन्य रोचक तथ्य यह है कि ताज महल के निर्माण में लगभग 1,700 हाथीदांत के टुकड़ों का उपयोग किया गया था[1]। उस समय हाथीदांत एक बहुमूल्य सामग्री थी और इसका उपयोग विशेष सजावट और कलात्मक कार्यों के लिए किया जाता था।
यह भी कहा जाता है कि शाहजहाँ ने यमुना नदी के दूसरी ओर अपने लिए एक काले संगमरमर का मकबरा बनाने की योजना बनाई थी, जिसे "ब्लैक ताज" कहा जाता है[3]। इस योजना के अनुसार, दोनों स्मारकों के बीच एक चांदी का पुल बनाया जाना था। हालांकि, शाहजहाँ के बेटे औरंगजेब द्वारा उन्हें सिंहासन से हटाए जाने और नजरबंद किए जाने के कारण यह योजना कभी साकार नहीं हो पाई। वैसे भी, इस 'ब्लैक ताज' की कहानी के लिए कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता है।
ताज महल को 1857 के विद्रोह के दौरान कुछ नुकसान पहुंचा था, जब ब्रिटिश सैनिकों ने इसके कुछ कीमती पत्थर और रत्न निकाल लिए थे[4]। इसके अलावा, अंग्रेज़ों के शासनकाल में, लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने ताज महल को गिराकर उसके संगमरमर को नीलाम करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह योजना कार्यान्वित नहीं हो पाई।
ताज महल का सांस्कृतिक और वैश्विक महत्व
ताज महल न केवल भारत का गौरव है, बल्कि यह विश्व धरोहर का अमूल्य हिस्सा भी है। 1983 में, यूनेस्को ने ताज महल को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी[1]। इसे विश्व के सात नए अजूबों में भी स्थान दिया गया है, जो इसके वैश्विक महत्व और प्रसिद्धि को दर्शाता है। प्रतिवर्ष विश्व भर से लाखों पर्यटक ताज महल को देखने आते हैं, जो इसे भारत का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाता है।
ताज महल भारतीय संस्कृति, कला और वास्तुकला का एक अनमोल प्रतिनिधि है। यह न केवल मुगल वास्तुकला के चरम बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यह विभिन्न सांस्कृतिक और कलात्मक परंपराओं के संगम का भी उदाहरण है[3]। इसमें इस्लामिक, फारसी, तुर्की और भारतीय वास्तुकला के तत्वों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता और समन्वय की भावना को प्रदर्शित करता है।
ताज महल ने विश्व साहित्य, कला और सिनेमा को भी गहराई से प्रभावित किया है। अनेक कवियों, लेखकों और कलाकारों ने इसकी सुंदरता और शाहजहाँ-मुमताज़ की प्रेम कहानी से प्रेरणा ली है। नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे "आंसुओं का एक बूंद जो समय के चेहरे पर हमेशा के लिए स्थिर हो गया है" के रूप में वर्णित किया है[2]। आधुनिक समय में, ताज महल कई फिल्मों, कविताओं, गीतों और चित्रकारी में प्रेरणा का स्रोत रहा है।
सांस्कृतिक महत्व के अलावा, ताज महल भारत की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। पर्यटन से होने वाली आय न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है, बल्कि राष्ट्रीय आय में भी योगदान देती है। ताज महल से प्रेरित हस्तशिल्प, जैसे संगमरमर पर नक्काशी, पिएत्रा ड्यूरा काम, और मॉडल संरचनाएँ, स्थानीय कारीगरों के लिए आजीविका का स्रोत हैं और भारतीय हस्तशिल्प की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।
ताज महल के संरक्षण के प्रयास और चुनौतियां
ताज महल के संरक्षण में अनेक चुनौतियाँ हैं, जिनका सामना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और अन्य संरक्षण एजेंसियों को करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी चुनौती प्रदूषण है, विशेष रूप से आगरा के औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला वायु प्रदूषण, जिसके कारण ताज महल के सफेद संगमरमर का रंग धीरे-धीरे पीला पड़ता जा रहा है[3]। अम्लीय वर्षा और वायु में मौजूद प्रदूषक तत्व संगमरमर को क्षति पहुंचाते हैं, जिससे इसकी चमक और मजबूती दोनों प्रभावित होती हैं।
यमुना नदी का प्रदूषण भी एक गंभीर चिंता का विषय है। नदी के जल स्तर में कमी और प्रदूषण के कारण ताज महल के आधार और नींव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है[3]। नदी के किनारे स्थित होने के कारण, ताज महल की नींव लकड़ी के लट्ठों पर टिकी हुई है, जिन्हें कूएँ के पानी की आवश्यकता होती है। यमुना का प्रदूषण और जल स्तर में कमी इन लट्ठों को सूखने का खतरा पैदा करती है, जिससे स्मारक की स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
पर्यटकों की बढ़ती संख्या भी एक चुनौती है। हर साल लाखों पर्यटक ताज महल का दौरा करते हैं, जिससे स्मारक पर दबाव बढ़ता है[2]। पर्यटकों के पैरों से होने वाला घर्षण, श्वास से निकलने वाली नमी, और अन्य मानवीय गतिविधियाँ संगमरमर और अन्य सामग्रियों के क्षरण में योगदान देती हैं।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत सरकार और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठन कई उपाय कर रहे हैं। 1996 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने "ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन" की स्थापना का आदेश दिया, जो ताज महल के आसपास का एक निश्चित क्षेत्र है जहाँ औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध है[3]। इसके अतिरिक्त, सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में पर्यटकों की संख्या को सीमित करने और प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को मजबूत करने के आदेश दिए हैं।
संगमरमर की सफाई और संरक्षण के लिए, वैज्ञानिकों और संरक्षण विशेषज्ञों ने विशेष तकनीकों का विकास किया है। इनमें मुलतानी मिट्टी का उपयोग शामिल है, जिसे संगमरमर पर लगाया जाता है और सूखने पर प्रदूषकों को अपने साथ हटा लेता है[2]। इसके अलावा, ताज महल के आसपास हरित पट्टी का विकास किया जा रहा है, जो प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।
निष्कर्ष
ताज महल न केवल एक भव्य स्मारक है, बल्कि यह प्रेम, कला और वास्तुकला के उत्कृष्ट संगम का प्रतीक भी है। चार सौ से अधिक वर्षों के बाद भी, इसकी सुंदरता और भव्यता दुनिया भर के लोगों को आकर्षित और मंत्रमुग्ध करती है। शाहजहाँ और मुमताज की प्रेम कहानी, जिसने इस अद्भुत स्मारक को जन्म दिया, आज भी हमारे दिलों को छूती है और प्रेम की अमरता का प्रमाण देती है।
ताज महल की वास्तुकला, कारीगरी और सौंदर्य उस युग की कलात्मक और तकनीकी उत्कृष्टता का प्रमाण हैं। यह स्मारक मुगल काल की समृद्धि, कला प्रेम और सौंदर्यबोध का जीवंत उदाहरण है। विभिन्न सांस्कृतिक और कलात्मक परंपराओं का संगम ताज महल को विश्व वास्तुकला का एक अद्वितीय नमूना बनाता है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
आज, ताज महल भारत की पहचान और गौरव का प्रतीक है। यह न केवल एक ऐतिहासिक स्मारक है, बल्कि एक जीवंत विरासत है जो भारतीय कला, संस्कृति और इतिहास की समृद्धि को प्रदर्शित करती है। हालांकि संरक्षण की चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन विभिन्न प्रयासों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रेम का यह अमर प्रतीक आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रहे।
अंततः, ताज महल हमें सिखाता है कि प्रेम, समर्पण और कलात्मक उत्कृष्टता के माध्यम से हम अमरता प्राप्त कर सकते हैं। शाहजहाँ ने अपनी प्रिय पत्नी की स्मृति को अमर बनाने के लिए जो स्मारक बनवाया, वह आज केवल मुमताज की ही नहीं, बल्कि स्वयं शाहजहाँ की, मुगल काल की समृद्ध कला परंपरा की, और भारतीय सांस्कृतिक विरासत की अमरता का प्रतीक बन गया है। ताज महल, प्रेम और सौंदर्य का यह अद्भुत संगम, युगों-युगों तक मानवता को प्रेरित और प्रभावित करता रहेगा।
Citations:
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 - [8] Taj Mahal Unknown Facts: आगरा में नहीं, पहले इस शहर में बनने वाला था ... https://www.tv9hindi.com/knowledge/taj-mahal-fifteen-unknown-facts-in-hindi-tajmahal-15-lesser-known-fact-about-tejo-mahalaya-shah-jahan-built-for-mumtaz-mahal-au114-1263851.html
 - [9] ताज महल व्लॉग ( हिन्दी में) | आगरा | #Ep03 | इंजी सब्सक्रिप्शन - यूट्यूब https://www.youtube.com/watch?v=-ydQwzR-NOk
 - [10] Taj Mahal बनाने के बाद मजदूरों के हाथ काटने की कहानी थी झूठी, ऐसी और ... https://navbharattimes.indiatimes.com/travel/destinations/interesting-facts-about-taj-mahal-agra-uttar-pradesh/articleshow/96698045.cms
 - [11] Taj Mahal History | ताजमहल का इतिहास - Webdunia https://hindi.webdunia.com/article/112051400062_1.html
 - [12] ताजमहल के बारे में ये 10 इंटरेस्टिंग फैक्ट जानते हैं आप, 1000 हाथी लाए थे ... https://www.india.com/hindi-news/travel/interesting-facts-about-taj-mahal-fascinating-facts-about-the-taj-mahal-5963124/
 - [13] ताज महल या तेजो महालय, जानिए इस रहस्य को... - Webdunia https://hindi.webdunia.com/current-affairs/taj-mahal-or-tejo-mahalaya-story-in-hindi-117081100051_1.html
 


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